Guru Ravidas Ji

गुरु रविदासजी का प्रारंभीक जीवन

रविदास जी का जन्म 15वें सताब्दी के एक दलित परिवार में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी माता का नाम माता कलसा देवी जी था और उनके पिता का नाम संतोख दास जी था। हलाकि उनका सही जन्म तिथि आज तक मालूम नहीं लग पाया है परन्तु अनुमान लगाया जाता है की उनका जन्म 1376, 1377, और 1399 के बिच हुआ था।

Father: Shri Santokh Dass Ji

Mother: Smt. Kalsa Devi Ji

Grandfather: Shri Kalu Ram Ji

Grandmother: Smt. Lakhpati Ji

Wife: Smt. Lona Ji

Son: Vijay Dass Ji

Death: in Varanasi in 1540 A.D.

गुरु रविदासजी की शिक्षा

बचपन में रविदास जी अपने गुरु, पंडित शारदा नन्द पाठशाला में पढने के लिए गए परन्तु कुछ उच्च जाति के लोगों द्वारा उन्हें वहां पढने के लिए मन किया गया। परन्तु उनके विचारों को देख पंडित शारदा नन्द को भी यह एहसास हुआ की रविदासजी बहुत ही प्रतिभाशाली हैं और उन्होंने रविदासजी को पाठशाला में दाखिला दे दिया और उन्हें पढ़ाने लगे। रविदास जी बहुत ही अच्छे और बुद्धिमान बच्चे थे और पंडित शारदा नन्द से शिक्षा प्राप्त करने के साथ वो एक महान समाज सुधारक बने। पाठशाला में पढाई करते हुए पंडित शारदा नन्द जी का पुत्र उनका मित्र बन गया। एक दिन दोनों छुपान-छुपी खेल रहे थे। खेल में दोनों एक-एक बार जित चुके थे। शाम हो जाने के कारण दोनों ने अगले दिन फिर खेलने का मन बनाया। अगले दिन पंडित शारदा नन्द का पुत्र खेलने नहीं आया। जब बहुत देर तक वह नहीं आया तो रविदास जी उनके घर गए। जब वे घर पहुंचे तो उन्हें पता चला की उनके मित्र की मृत्यु हो गयी है। सभी लोग उनके मित्र की लाश के चारों और बैठ कर रो रहे थे। तभी रविदासजी पंडित शारदा नन्द जी के पुत्र के शारीर के पास जाकर वो बोले – अभी सोने का समय नहीं है, चलो छुपान-छुपी खेलें। यह शब्द सुनते ही वह जीवित हो गया। गुरु रविदास जी को भगवान से मिली शक्तियों के कारण उनके शब्दों से वह बच्चा जीवित हो गया। सब कोई यह देख कर अचंभे में पड़ गए।